Adhyatma क्या है। इस बारे में ज्यादा करके लोग प्रश्न पूछते है। और उसके उत्तर ढूंढने का जरिया देखते है। Adhyatma की परिभाषा , आत्मा के बारे में अध्यन करने की विधि को अध्यात्म कहा जाता है। चुकी हर सवाल का जवाब लोग बाहर ढूंढते है , अंततः उन्हें ये मालूम नहीं होता की , कुछ ऐसे सवाल के जवाब बाहर नहीं मिलते। उनमे से एक ये सवाल है
Adhyatma क्या है ?
जब कोई व्यक्ति अपने अंतर आत्मा के बारे में जानने क लिए अपने अंदर की तरफ जब सफर करता है , उसे हम कहते है Adhyatma की तरफ जाना। हर तरफ हर जगह आत्मा ही मूल है क्यूंकि परमात्मा का ही अंश आत्मा है , चुकी अगर आत्मा नहीं तो ये शरीर भी मुर्दा कहलाता है।
एक कदम Adhyatma की ओर
ये हमारा शरीर जड़ है और उसमे निवास करने वाला आत्मा चेतन है , जब हम परमात्मा के बारे में जानने की इच्छा रखते हुए , ईश्वर की खोज में जुड़ जाते है , इसी राह को आध्यात्म की ऒर कहते है। ईश्वर को जानने से पहले हमें खुद को जानना पड़ता है यानि आत्मा को जानना पड़ता , क्यूंकि परमात्मा का ही एक अंश यानि (टुकड़ा ) आत्मा है। इस मनुष्य शरीर में दस 10 द्वार है जो की नौ 9 खुला है और दसवा बंद है।
इस शरीर में दस 10 द्वार ये है
2 आँख , जिस से हम पूरी दुनिया को देख पाते है
2 कान जिस से हम हर अच्छा बुरा सुन पते है
2 नाक जिस से हम अच्छा बुरा खुसबू को समझ पाते है और जीने के लिए स्वाश लेते है
1 मुँह जिस से हम अच्छा बुरा बोलते है या अच्छा बुरा कहते है
1 मूत्र त्यागने की जगह है , जहा से हम इस शरीर की जल रूपी गन्दगी को बाहर निकलता है , और इसी द्वार से शृष्टि भी होती है
1 मल द्वार , जहा से हम इस शरीर की गन्दगी को बहार निकालते है
अब ये कुल 9 द्वार हो गए , लेकिन आप लोग सोच रहे होंगे के मै तो 10 द्वार की बात की थी। तो मै आप सभी को बता दूँ की दसवाँ द्वार इस शरीर का मूल द्वार है जहाँ से इस शरीर में आत्मा को डाल कर बंद कर दिया जाता है। इसी द्वार को खोलने की विधि किसी सच्चे सद्गुरु से लेकर हम जब इस द्वार को खोल कर आगे बढ़ते है तो , वही पर हम अपने आप को देखते है यानि अपनी आत्मा स्वरुप को देखते है।
यहाँ मैं आप सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ क्यूंकि दसवाँ द्वार का नाम मैं नहीं बता सकता क्यूंकि इस द्वार नाम को बतलाने से माना किया गया है , बस इतना बता सकता हूँ ये दसवाँ द्वार मष्तक यानि (शीर ) में है। कहने और सुनने में बहुत ही सरल मालूम होता है , अपितु ऐसा है नहीं क्यूंकि हमारा शीर जो है वो पुरा ब्रह्माण्ड है। और यही सच्ची मुक्ति का द्वार है , इसको खोलना तो दूर की बात है यहाँ तक पहुंच पाना बहुत ही मुश्किल है , परन्तु आपको सच्चे सद्गुरु मिल जाएँ तो ये संभव हो सकता है।
निरंतर सद्गुरु के बताये बिधि से आंतरिक अभ्यास करने से ये संभव हो जाता है , एक प्रमाण बताता हूँ। गुरु नानक साहेब जब सद्गुरु कबीर साहेब जी से ज्ञान प्राप्त किये और अभ्यास ( ध्यान ) में बैठे तो उनका एक ही बार में उनका दसवाँ द्वार खुल गया। और गुरुनानक साहेब सद्गुरु कबीर साहेब के चरणों में बैठ कर बोल उठे , वाह गुरु , वाह गुरु , पुरे है गुरु गुरुनानक आपके चरणों के धुरे है गुरु
यहाँ बता दूँ के Adhyatma के बारे में जो जान जाते है उनको सम्पूर्ण शांति की प्राप्ति हो जाती है। बिना Adhyatma ज्ञान के सम्पूर्ण शांति की प्राप्ति कभी नहीं हो सकता है।
सच्ची मुक्ति पाने क लिए जो सद्गुरु कबीर साहेब रास्ता बताये है उस रास्तें का नाम , सूरत शब्द योग ,
सूरत शब्द योग क्या है
सूरत शब्द योग है , सूरत यानि आत्मा को शब्द यानि सत्पुरुष में लगाने के विधि को , सूरत शब्द योग कहा जाता है और यही रास्ता सद्गुरु कबीर साहेब अपने परम शिष्य।, धरम दास ,साहेब को भी बताये है
सात चक्र ये है और वह कौन है
सूरत ऊपर से उतर कर निचे पहुंची है और वहाँ से पूरी शरीर में बिखर गयी है , जब सूरत Adhyatma अध्यात्म में लग जाती है तब सबसे निचे से ऊपर के तरफ चढ़ती है अब इन सातों चक्रों के नाम इस प्रकार है
1 . मूलाधार चक्र, यहाँ पर गणेश जी का स्थान है।
2 . स्वाधिष्ठान चक्र , यहाँ पर ब्रह्मा जी का स्थान है।
3 . मणिपुरम चक्र , यहाँ पर विष्णु जी का स्थान है।
4 . अनाहद चक्र , यहाँ पर शिव जी का स्थान है।
5 . कंठ चक्र , यहाँ माँ आधशक्ति का निवास है।
6 . आज्ञा चक्र , यहाँ पर इस आत्मा का स्थान है।
7 . सहस्त्रदल चक्र ,यहाँ पर स्वयं मालिक विराजमान है।
FAQ .अक्सर पुच्छे जाने वाले प्रश्न
1 . अध्यात्म क्या है ?
उत्तर . आत्मा के बारे में अध्यन करने की विधि को अध्यात्म कहते है।
2 . सच्ची शांति कैसे मिलेगी ?
उत्तर . जब उलट कर आत्मा अपने स्थान सहस्त्र में पहुंच जाता है तब उसे सच्ची शांति मिल जाती है।
3 . आत्मा कहा से आया है ?
उत्तर . आत्मा अमर लोक यानि (सत्यलोक) से आया है।