Kabir Das Biography in Hindi- कबीर दास जी एक बहुत ही सिद्ध पुरुष संत थे। जिनकी गाथा चारो युगो में प्रसिद्ध है , जिसका प्रमाण अनुराग सागर , कबीर सागर ,इत्यादि , इन सभी ग्रंथों में मिला है।
Kabir Das Biography in Hindi
कबीर दास जी १३ वीं सदी के अंत में १३९८ (1398 ) ई . में काशी के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ के पूर्णिमा को प्रगट हुवे थे। निरु और नीमा नामक दम्पति अपने घर ले गए। कबीर बचपन से ही बहुत ज्ञान ध्यान की बाते करते थे। इन बातो को सुनकर लोग बोलते थे। तुम्हारा गुरु कौन है, कबीर बोलते की मैंने अभी तक गुरु नहीं किया है।
तो लोग बोलते , गुरु बिना तुम्हारे ज्ञान का कोई अर्थ नहीं है। तो कबीर इस बात को लेकर गुरु करने का विचाए किये। उस समय रामानंद स्वामी हिन्दुओ के प्रख्यात गुरु थे। जब कबीर रामानंद स्वामी से गुरु दीक्षा की बात किये तो रामानंद स्वामी अपना शिष्य बनाने से माना कर दिए।
Kabir Das Biography in Hindi कबीर का अबोध बालक बनना
कबीर ने एक अबोध बालक का रूप धारण कर , भोर में उस तालाब के सीढ़ियों पर जा कर लेट गए जहा पर स्वामी रामानंद स्नान करने जाया करते थे। जब स्वामी जी स्नान करने आये तो अँधेरे के कारन सीढ़ी पर लेटा बालक कबीर दिखा नहीं और स्वामी जी के खड़ाऊ से बालक कबीर को चोट लग गया।
कबीर जोर-जोर से रोने लगे तभी स्वामी जी बोले , राम , राम बोल बच्चा , सब दुःख दूर हो जायेगा। कबीर राम-राम कहने लगे।
Kabir Das Biography in Hindi वार्ता कबीर और स्वामी जी की
अब कबीर किसी से सत्संग करते ज्ञान की बात करते तो कोई बोलता तुम्हारे गुरु कौन है , तो कबीर बोलते स्वामी रामानंद मेरे गुरु है। अब ये बात धीरे-धीरे स्वामी जी के कानो में पड़ी , तो स्वामी जी बोलेन के मैंने तो कबीर को अपना शिष्य नहीं बनाया है।
Kabir Das Biography in Hindi
स्वामी जी बोले कबीर को बुला लाओ , स्वामी जी के शिष्य लोग कबीर को बुला लाए।
स्वामी जी कबीर से पूछे तुमको कब मै शिष्य बनाया , तो कबीर बोले उस दिन जब तालाब के सीढ़ियों पर आपके खड़ाऊ से एक बालक को चोट लगा , और आप ने राम राम बोलने को कहा तो वो बालक मै ही था।
आप जब राम नाम मुझे दिए तो आप तभी से मेरा गुरु बन गए और मै आपका शिष्य। स्वामी जी बोले वो एक छोटा बच्चा था और तुम बड़े हो , इस बात पर कबीर जी ने उसी वक़्त एक कला दिखाई और वही रूप धरकर बोले गुरु जी यही बच्चा था। स्वामी जी सबकुछ समझ गए
Kabir Das Biography in Hindi – वाणी है
कबीर हमेशा सभी को समझाते थे सभी को मिलजुल कर रहना चाहिए, जात – पात का भेद नहीं रखना चाहिए। वो हमेशा पाखंड को छोड़ कर सत्य क्या है इस बारे में हमेशा बात किया करते थे और समझाया करते थे।
कबीर जी की एक वाणी है – पत्थर पूजे तो हरी मिले , तो मै पुजू पहाड़ , पत्थर से चक्की भली पीस संसार खाए , ऐसी बहुत सारी कबीर जी की वाणी है। जो अपने आप में एक पूरा सच होता है ,
Kabir Das Biography in Hindi तुलसी दास जी की वाणी
गोस्वामी तुलसी दास जी रामायण में लिखें है – बिन गुरु भौ-निधि तरे न कोई , जो विरंच शंकर सम होइ , अर्थ अगर कोई ब्रह्मा के सामान भी है , या सूर्य के सामान भी है तो भी उसका गुरु के बिना उधार नहीं होगा। विरंच , ब्रह्मा को कहा गया है , और शंकर सूर्य को कहा गया है।
कबीर जी करीब 120 वर्षे के बाद इस शरीर का मगर में परित्याग किये करीब 1518 ई. में क्यूंकि एक मिथ था लोगो के जेहन में , जो काशी में मरेगा वो स्वर्ग में जायेगा , और जो मगर में मरेगा वो नरक में जयेगा।
Kabir Das Biography in Hindi पूछे जाने वाले प्रश्न
FAQs
कबीर दास जी का जन्म कब हुआ था ?
कबीर दास जी १३९८ ई. में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर प्रगट हुए थे
कबीर दास जी की रचनाए कौन कौन सी है ?
कबीर दास जी की रचनाए – अनुराग सागर , कबीर मंसूर , शब्दावली , बीजक , इत्यादि
क्या कबीर दास जी विवाहित थे ?
नहीं , कबीर दास जी माया से परे पूर्ण ब्रह्म थे
ऐसा कहा जाता है उनके एक पुत्र और एक पुत्री थी ?
वो इस प्रकार – नदी में एक बहते हुए शव को कबीर जी जीवित किये , उस वक़्त सिकंदर बादशाह था उसके सलाहकार काजी के शर्त रखने पर कबीर जी ने उन शवों को जीवित किये जिसे सिकंदर ने कहा ये तो कमाल हो गया इसलिए। उसका नाम कमाल पड़ा , एक दिन उस काजी की लड़की का मृत्यु हो गया। तो कबीर जी ने उसे जीवित किये इसलिये लड़की का नाम कमाली पड़ा
कबीर दास जी क्यों प्रसिद्ध है ?
कबीर दास जी समाज में भेद-भाव और जात-पात को अलग रख कर भक्ति भजन को सर्वो पारी बताये सत्य पर चलना और सत्य का महत्व बताये
कबीर दास जी की मृत्यु कब हुयी थी ?
कबीर दास जी की शरीर का त्याग किये 1518 ई. में करीब 120 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के मगहर में आज उस जिले को कबीर नगर के नाम से जाना जाता है