गोरखनाथ जंजीरा मंत्र: आत्मा का संग्राम की ऊँचाइयों की ओर ले जाता है यह गोरखनाथ जंजीरा मंत्र नियमित रूप से विधि पूर्वक किया जाये तो बहुत सारे चमत्कार हो सकता है।
मंत्र:
“ॐ नमो गोरखनाथाय जीवन मुक्ताय।”
गोरखनाथ जंजीरा मंत्र का अर्थ: “ॐ” ब्रह्म, विष्णु, और शिव को प्रतिष्ठित करने वाला आदिमात्र है। “नमो” श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जबकि “गोरखनाथाय” गुरु गोरखनाथ को समर्पित है और “जीवन मुक्ताय” मुक्ति और स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना है।
गोरखनाथ जंजीरा मंत्र के लाभ:
- आत्मा का मुक्ति: गोरखनाथ जी के मंत्र का जाप करने से आत्मा मुक्ति की ऊँचाइयों की ओर बढ़ती है।
- जीवन में स्थिरता: इस मंत्र का जाप करने से जीवन में स्थिरता और निर्णय की प्राप्ति होती है।
- आत्मविकास: गुरु के आदर्शों के माध्यम से आत्मविकास होता है और व्यक्ति अपनी क्षमताओं का सही उपयोग करता है।
गोरखनाथ जंजीरा मंत्र ,मंत्र साधना:
- शुद्धि के साथ बैठें और मन को शांत करें।
- दीप्ति से ॐ का ध्यान करें और फिर मंत्र का 108 बार जाप करें।
- साधना को नियमित बनाएं और समर्पण से करें।
FAQs:
Q1. क्या गोरखनाथ मंत्र को किसी भी समय जप किया जा सकता है? A1. हां, गोरखनाथ मंत्र को किसी भी समय और स्थान पर जप किया जा सकता है, लेकिन सुबह का समय इसके लिए विशेष रूप से शुभ होता है।
Q2. क्या इस मंत्र का जाप करने से फायदा होता है? A2. जी हां, गोरखनाथ मंत्र का जाप करने से आत्मा को मुक्ति, शक्ति, और स्वतंत्रता मिलती है।
समापन: गोरखनाथ जंजीरा मंत्र एक उच्चतम आदर्श और आत्मा की मुक्ति की दिशा में एक मार्गदर्शक है। इस मंत्र की साधना से आप अपने जीवन को एक नए स्तर पर ले जा सकते हैं, जहां आत्मा का संग्राम सफलतापूर्वक जीता जा सकता है।
“Gorakhnath Ki Aarti : आत्मा के उज्जवल दीप”
आरती:
जय गोरख देवा जय गोरख देवा। कर कृपा मम ऊपर नित्य करूं सेवा ॥
शीश जटा अति सुन्दर भाल चन्द्र सोहे। कानन कुण्डल झलकत निरखत मन मोहे ॥
गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी। आदि पुरुष योगीश्वर सन्तन हितकारी ॥
नाथ निरंजन आप ही घट-घट के वासी । करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी ॥
ऋद्धि सिद्धि चरणों में लोटत माया है दासी ।जय गोरख देवा जय गोरख देवा।
आप अलख अवधूता उत्तराखण्ड वासी ॥ अगम अगोचर अकथ अरूपी सबसे हो न्यारे।
जय गोरख देवा जय गोरख देवा। योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे ॥
– ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावें। – नारद शारद सुर मिल चरनन चित लावें ॥
चारों युग में आप विराजत योगी तन धारी। सतयुग द्वापर त्रेता कलियुग भय टारी ॥
गुरु गोरख नाथ की आरति निशिदिन जो गावे । – विनवत बाल त्रिलोकी मुकती फल पावे ॥
Gorakhnath Ki Aarti की विधि:
- आरती को पूर्वदिशा की ओर देखकर बैठें।
- एक थाली पर दीपक, गुग्गुल, और कुमकुम रखें।
- ध्यान लगाकर गोरखनाथ जी को मन में चित्रित करें।
- आरती को शुरू करें, दीपक को घुमाते हुए आरती गाएं।
- मान से आरती को पूरा करने के बाद, फूलों का अर्पण करें।
- आपके मन में भक्ति और आदर के साथ गोरखनाथ जी की कृपा का आभास होगा।
FAQs:
Q1. गोरखनाथ जी की आरती कितनी बार करनी चाहिए? A1. आरती को नियमित रूप से करना शुभ है, लेकिए प्रतिदिन एक बार करना आपके जीवन में पॉजिटिव ऊर्जा को बढ़ा सकता है।
Q2. आरती का समय क्या होना चाहिए? A2. गोरखनाथ जी की आरती का समय सुबह और शाम होना चाहिए, लेकिन आप उन्हें किसी भी समय श्रद्धापूर्वक आराधना कर सकते हैं।
समापन: गोरखनाथ जी की आरती के द्वारा हम उनकी कृपा और आशीर्वाद की ओर अपना मन मोदित करते हैं। इस आरती के माध्यम से हम भक्ति और प्रेम के साथ गोरखनाथ जी के सानिध्य में एक सात्विक भावना में रहते हैं।