हनुमान जंजीरा
हनुमान जंजीरा का पाठ करने से भक्तों का मन और मनोबल बढ़ जाता है। हनुमान जी का स्मरण करते हुए, यह हनुमान जंजीरा पढ़ा जाता है। यहां, हनुमान जी के गुणों का वर्णन किया गया है:
हनुमान जंजीरा
जंजीरा: मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
अर्थ (Meaning): हनुमान जंजीरा का पाठ करने से भक्तों का मन और मनोबल बढ़ जाता है। हनुमान जी की जयंती और महत्त्व का स्मरण करते हुए, यह जंजीरा पढ़ा जाता है। यहां, हनुमान जी के गुणों का वर्णन किया गया है:
- मनोजवं मारुततुल्यवेगं: हनुमान जी का वेग उनके भक्तों को सही मार्ग पर ले जाने का उपयोगी है, और वे तेजी से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
- जितेन्द्रियं: हनुमान जी ने अपनी इंद्रियों को नियंत्रित किया और अपनी बुद्धि का सही उपयोग किया।
- बुद्धिमतां वरिष्ठम्: हनुमान जी विवेकी और बुद्धिमान थे, और उन्होंने श्रीराम के सेवक के रूप में अपनी बुद्धि का सही उपयोग किया।
- वातात्मजं वानरयूथमुख्यं: हनुमान जी वायुपुत्र हैं और वानरसेना के मुख्य नेता थे।
- श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये: भक्तों को यह जंजीरा याद दिलाता है कि हनुमान जी श्रीराम के दूत हैं और उनकी शरण में आना हमारे लिए सुरक्षा और संजीवनी हो सकता है।
इस जंजीरा का पाठ करने से हनुमान जी के भक्तों को उनकी आराधना में और भी श्रद्धा और भक्ति का भाव आता है, और वे उनके आशीर्वाद से संतुष्ट होते हैं।